लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2022 फसल
बड़ी मेहनतों के बाद
प्रकृति के कोप से बचाकर
पशु पक्षियों से संरक्षित करते हुए
किसान जब फसल घर लाता है
तो उसे स्वर्ग जीत लेने का
आनंद सा आ जाता है ।
झुर्रियों से छुपे चेहरे पर
हंसी की दो चार लकीरें
आसमान में इंद्रधनुष की तरह
उभर कर सामने आ जाती हैं
और फिर बीवी बच्चों की
ख्वाहिशों के गुणा भाग में
वह इतना मशगूल हो जाता है कि
खुद की ख्वाहिशों का ध्यान ही नहीं रहता है ।
उस दिन उसका एक बार फिर से जन्म होता है ।
फसल भी कई प्रकार की होती हैं
कोई वोटों की फसल काटता है तो कोई नोटों की ।
वोटों की फसल काटने के लिए
बड़ा बेशर्म बनना पड़ता है
लोगों को जाति धर्म के आधार पर
पहले तो भड़काया जाता है
फिर दंगा फसाद करवाया जाता है
उसके बाद मासूमों की लाशों पर बैठकर
वोटों की फसल काटी जाती है
तब जाकर सत्ता सुंदरी हाथ आ पाती है ।
अगर जाति धर्म से भी लोग नहीं भड़के
तो भाषा, क्षेत्रीयता, किसान आदि मुद्दे हैं ना
नफरत का खाद बीज हमेशा तैयार रहता है
वैसे भी देश में "भड़काऊ भाईजानों" की
कोई कमी नहीं है और उन्हें इसकी आजादी भी है
तो, वोटों की फसल काटने में क्यों पीछे रहें ।
नोटों से किसे प्यार नहीं है
नोट ही माई बाप, नोट ही रिश्ते नाते
नोटों के लिये रिश्तों का खून भी हैं करते
"रिश्वत" का नाम देकर नोटों को अपमानित ना करो
सुबह शाम, रात दिन नोटों की पूजा करो
तब जाकर यह फसल पैदा होती है
सारी जिंदगी नोटों की आरती में ही व्यतीत होती है
नोटों को बिछाकर सोने में जो आनंद है
वह आनंद स्वर्ग की अप्सराओं में भी कहां है
नोटों से खरीदी जाती सारी खुशियां
और नोटों से ही उमंगें जवां हैं ।
सुना है कि किसी "खानदान" की
फसल भी खराब हो गई है
बताते हैं कि किसी तूफान में
वह फसल गल गई है ।
पर, तूफानों पर किसका नियंत्रण होता है
वह वैसा ही काटता है जैसा वह बोता है
विष बेल लगाओगे तो अमृत कैसे पाओगे
जिंदगी का फलसफा है ये
इसे अंग्रेजी की किताबों में कहां पाओगे ।
श्रेष कर्म रूपी बीज बोइए
श्रेष्ठ विचार रूपी खाद पानी डालिए
नकारात्मकता रूपी झंझावातों से बचाकर
सुख, चैन रूपी फसल घर ले जाइए ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
27.5.22
Seema Priyadarshini sahay
29-May-2022 11:26 PM
सुंदर
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Joseph Davis
28-May-2022 07:36 PM
Nyc
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Shnaya
28-May-2022 12:44 PM
बेहतरीन
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